एक अनपढ़ लड़की और कलक्टर साहब की प्रेम कहानी ! सच्ची प्रेम कहानी



 नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का पुनः हमारे ताकि इस तरीके की कहानियां जो मैं हर रोज लेकर के आता हूं उसका नोटिफिकेशन सबसे पहले आप तक पहुंचे तो चलिए मित्रों देर ना करते हुए कहानी को शुरू करते हैं अजय अपने कमरे में बेचैनी से इधर-उधर घूम रहा था जुलाई की झुलसा देने वाली गर्मी में पसीने से भीगने से उसकी टीशर्ट उसके शरीर से चिपक गई थी उसके मन में आशंका की सुनामी चल रही थी क्या क्या पिछले दो सालों की तरह इस साल भी असफलता ही हाथ लगेगी अब तो बाबा भी निराश हो जाएंगे क्या मुझे

 प्रशासनिक अधिकारी बनने का उनका सपना बस एक सपना ही बनकर रह जाएगा आज अंतिम परिणाम आने वाला था लेकिन अजय की इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि किसी साइबर कैफे पर जाकर वह अपना रिजल्ट देख ले फोन में तो वह देख नहीं सकता था क्योंकि उसका फोन नोकिया का साध धारण सा फोन था मीरा ने उससे कल ही कहा था कि जैसे ही उसके पिताजी के पास अखबार आएगा वैसे ही वह अजय को उसका परिणाम दिखाने के लिए लाएगी अब तो दिन के 12 बज चुके थे लेकिन अभी तक उस लड़की का कहीं अता पता नहीं था अजय प्रयागराज में जिसके मकान में किराए पर रहता था उसकी बेटी ही मीरा थी अजय मीरा के पिता को बाबूजी कहक

 बुलाता था पिछले दो सालों से अजय और मीरा एक दूसरे को पसंद करते थे मीरा अजय को उसके लक्ष्य को पाने के लिए प्रोत्साहित करती रहती थी लगातार दो साल असफलता झेलने के बाद एक बार तो अजय का खुद पर से भरोसा उठ सा गया था लेकिन मीरा उसमें नया उत्साह भरने की कोशिश करती रहती चाहे बाबू जी से छुपाकर अजय को पढ़ने के लिए केरोसीन का तेल देना हो या खाना ना होने पर अजय को खाना खिलाना या फिर जिन किताबों को अजय पैसों की कमी के कारण नहीं खरीद पाता था उनको खरीदने के लिए अपनी सोने की बालियों को बेच देना मीरा जो भी बन पड़ता अजय के लिए करती रहती

 थी अनपढ़ होने के बावजूद भी मीरा पढ़ाई का महत्व जानती थी मीरा के इसी व्यवहार से अजय के दिल में मीरा के लिए जगह बन चुकी थी लेकिन इन तीन सालों में दोनों ने मर्यादा की रेखा को पा किए बिना ही एक दूसरे को चाहा था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई अजय ने दौड़कर हड़बड़ा हुए दरवाजा खोला तो सामने मीरा खड़ी थी बाहर की धूप के कारण उसका गोरा चेहरा लाल हो चुका था पसीने की बूंदे उसके माथे पर चमक रही थी मीरा दौड़कर अंदर आई और पास रखी एक कुर्सी पर बैठ गई अजय ने थोड़ा सा झल्ला दे हुए कहा क्या जरूरत थी इस गर्मी में भाग कराने की चेहरा देखो

 अपना लाल पड़ गया है अपनी लाल चुनरी में पसीना पोंच करर मीरा हाते हुए बोली तुम्हारी मेहनत सफल हुई अजय तुमने वह मुकाम हासिल कर लिया है जिसके लिए तुमने अपनी आंखों को रात रात भर दिए की तरह जलाया है मीरा ने अजय की ओर अखबार का एक टुकड़ा बढ़ा दिया अजय ने देखा तो पीले मार्कर से उसका रोल नंबर सफल परीक्षार्थियों में दर्ज था अजय ने उस अखबार के टुकड़े को कई बार देखा मानो उसे अभी भी सफलता पर विश्वास नहीं हो रहा हो मीरा कुर्सी से उठकर आई और बोली अजय के हाथ से वह अखबार का टुकड़ा छीन कर बोली अब तो नेतराम हलवाई की दुकान के दो-तीन किलो

 रसगुल्ले तो मेरे लिए बनते ही हैं अजय जी अजय को समझ नहीं आया कि इस बात का वह क्या जवाब दे उसने मीरा का हाथ पकड़कर अपने सीने पर रख लिया और कहा देखो ना मेरा दिल कितनी जोर से धड़क रहा है धत या कहते हुए मीरा अपना हाथ छुड़ाकर बाहर भाग गई पूरी पागल है यह लड़की यह सोचकर अजय मुस्कुरा दिया तभी अजय को अपना सर थोड़ा घूमता हुआ महसूस हुआ सुबह से परिणाम की चिंता में उसने कुछ खाया भी नहीं था महीने के अंतिम दिनों में अजय की जेब वैसे भी तंग हो जाती थी बाबा के भेजे हुए पैसों से पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो जाता था अजय ने पर्स चेक

 किया तो उसके पर्स में बस कुछ सिक्के ही थे अब अजय ने पूरे कमरे में पैसे खोजना शुरू किया अपनी मां की तरह कुछ पैसे इधर-उधर खोस देने की आदत थी अजय की चादर के नीचे पूजा घर के नीचे बिछे हुए कपड़े के नीचे पैट की जेबों में हर संभव जगह पर अजय को तलाश करने पर कुल 0 ही मिले थे अपनी सफलता के बारे में बाबा को फोन करके बताने को अजय का जी हुआ लेकिन चाचा जी के व्यवहार के बारे में सोचकर अजय का दिल बैठ गया बाबा के पास फोन ना होने के कारण वह बगल वाले चाचा जी के पास अजय से बात करने के लिए जाते थे क्योंकि चाचा के पास टेलीफोन था चाचा कभी-कभी टेलीफोन का तार

 निकालकर बाबा को बोल देते कि फोन में समस्या है बाबा चाचा के हाथ में टेलीफोन का तार देखते हुए भी आंसू पूछते हुए घर आ जाते थे अजय ने तेजी से सारा सामान पैक कर लिया घर जाने के लिए तभी उसे ख्याल आया कि कि इतने पैसों में या तो वह घर जा सकता है या तो व खाना खा सकता है अब अजय का दिमाग असमंजस की अवस्था में आ गया था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई अजय ने सोचा कि पक्का मीरा ही होगी आगे बढ़कर दरवाजा जैसे खोला तो मीरा सामने खड़ी थी उसके हाथों में एक थाली थी जो एक साफ कपड़े से ढकी हुई थी अंदर आकर मीरा ने थाली को मेज पर रखा और पलटक अजय से बोली आपकी शकल देख कर ही लग

 रहा था महोदय जी कि आपने खाना नहीं खाया है कुछ खा लीजिए अजय ने मेज के पास आकर थाली में झांक कर देखा तो पूरी थाली खाने के अलग-अलग व्यंजनों से भरी पड़ी थी बैगन का भरता गोभी की सब्जी पुलाव अचार इत्यादि यह दृश्य देखकर अजय की आंखों में आंसू आ गए उसने भराए गले में से कहा थैंक यू मीरा पता नहीं तुम्हारे एहसान का कर्ज जीवन भर में उतार भी पाऊंगा या नहीं मीरा ने अपनी लाल चुनरी से अजय के गालों पर लुढ़क आए आंसुओं को पूछते हुए कहा आज तो कह दिया आज के बाद मेरे प्यार को एहसान मत कहना पहले खाना खाओ ठंडा हो रहा है अजय ने खाना खाया

 खाना खाने के बाद अजय ने अपना बैग उठाया और जाने लगा तभी मीरा उससे लिपट गई हाथ में लिए बैग को छोड़ते हुए अजय ने मीरा के सर पर प्यार भरा हाथ फेरा और कहा क्या हुआ मीरा मैं आऊंगा और तुम्हें हमेशा के लिए ले जाऊंगा अपने बाबा की बहू बना के मीरा अजय से अलग हुई और सिसकते हुए बोली बाबू जी मेरे लिए रिश्ता देख रहे हैं लड़का सरकारी ऑफिस में क्लर्क है अगर तुम नहीं आए तो कुछ कर लूंगी मैं अजय थोड़ा गंभीर हो गया मीरा के कंधों को पकड़ता हुआ अजय बोला मैं जरूर आऊंगा बाबूजी अगर शादी के लिए ज्यादा जोर दे तो उन्हें अखबार वाला कागज दिखाते हुए हमारे बारे में बता देना

 अजय ने मीरा के चेहरे से आंसुओं को पोचता हुआ उसके माथे को चूम लिया और कमरे से बाहर निकल आया गांव से जैसे ही अजय बस से उतरा सभी गांव वासी अजय का स्वागत करने के लिए ढोल नगाड़ों और फूल मालाओं के साथ खड़े थे उनको भी अजय के प्रशासनिक अधिकारी बनने की खबर मिल चुकी थी अजय के बस से उतरते ही सभी गांववासियों ने उसे फूल मालाओं से लात दिया और ढोल नगाड़े बजाते हुए कंधों पर उठा लिया कंधे पर उठाकर ही गांव वाले अजय को उसके घर तक ले आए घर के दरवाजे पर बाबा और मां को देखते ही अजय नीचे उतरा और दौड़कर मां और बाबा के पैर छू लिए बाबा ने उसे उठाते हुए कहा शाबाश

 बेटा आज तूने अपने बाबा का नाम रोशन कर दिया है अजय ने भाव विभोर होकर बाबा को गले से लगा लिया ट्रेनिंग में कुछ दिन शेष थे तब तक अजय गांव में ही रहा बाबा आज पूरे गांव में छाती फुलाकर घूमते हैं हैं और सबसे कहते हैं अरे मेरा बेटा तो कलेक्टर है कलेक्टर अजय उनको देख देख कर मुस्कुराता रहता गांव वाले भी बाबा का काफी मान सम्मान करने लगे थे अजय को यह सोचकर संतोष होता कि जिस विश्वास पर बाबा ने उसे इलाहाबाद भेजा था उस विश्वास पर वह खरा उतरा कुछ दिनों के बाद अजय की ट्रेनिंग के लिए कॉल लेटर आ गया और अजय ट्रेनिंग पर चला गया ट्रेनिंग पूरी करने

 के बाद अजय की पोस्टिंग भी हो गई जैसे ही अजय को फुर्सत मिली उसने तुरंत इलाहाबाद का फिर से रुख किया बाबूजी के घर के कुछ दूरी पर ही नेतराम की दुकान देखते ही उसे मीरा की बात याद आ गई वहां से उसने हर मिठाई में से टोकरी भर भर के पैक करवा लिए और ड्राइवर से गाड़ी में रखवा लिया बाबू जी के घर पहुंचते ही अजय का दिल जोरों से धड़कने लगा मीरा उसे देखेगी तो पता नहीं क्या होगा उससे मिलने के बाद आने वाले आंसुओं को छुपा ने के लिए अजय ने काला चश्मा लगा लिया घर के अंदर प्रवेश करते ही अजय ने देखा कि बाबूजी बरामदे में कुर्सी पर बैठे हुए हैं और बहुत कमजोर से लग रहे

 हैं बाबू जी अजय ने बाबू जी के पैर छुए कमजोर नजर होने के बाद भी बाबू जी ने अजय को पहचान लिया बाबू जी का हाल और उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछने के बाद अजय ने पूछा बाबू जी मीरा नहीं दिखाई दे रही है मीरा का नाम सुनते ही बाबूजी निढाल हो गए कांपते स्वर में उन्होंने कहा मीरा भाग गई बेटा बाबू जी की यह बात सुनकर मानो किसी ने मुझे अंधे कुए में फेंक दिया हो मैं बाबू जी की कुर्सी के पास ही धम्म से बैठ गया मैंने पूछा किसके साथ बाबू जी बाबू जी का चेहरा कठोर हो गया उन्होंने सख्त होते हुए कहा किसी के साथ नहीं अकेले भागी है जब से उसकी शादी का दिन तय किया

 था तब से गुमसुम रहने लगी थी एक अखबार के टुकड़े को सीने से से चिपकाए बैठी रहती थी कुछ पूछो तो बस यही कहती थी कि वह आएगा और मुझे ले जाएगा शादी के एक दिन पहले उसने मुझे तुम्हारे बारे में बताया मैंने सोचा कि कलेक्टर बनने के बाद तुम कौन सा मीरा से शादी करने आओगे उसकी बातों को नादानी समझकर मैंने ध्यान नहीं दिया लेकिन उसी रात को वह पता नहीं कहां भाग गई अजय का मस्तिष्क बिल्कुल शून्य पड़ चुका था उसने धीमे स्वर में पूछा आपने उसे खोजने की कोशिश नहीं की बाबू जी बाबू जी अजय की आवाज सुनकर बेबसी से उसकी तरफ देखने लगे बाबू जी के इस तरह देखने पर अजय अपने आप

 को रोक ना सका और घर से बाहर निकलकर गाड़ी में बैठ गया गाड़ी में पड़ी मिठाइयों को बाबू जी को देने की हिम्मत नहीं हुई उसने ड्राइवर से बोला गाड़ी ले चलो मीरा को ढूंढने की हर संभव कोशिश की अजय ने पूरे इलाहाबाद को छान मारा लेकिन मीरा का कहीं अता पता नहीं चला ना जाने क्या-क्या सपने देखे थे अजय ने मीरा के साथ अपनी पूरी जि जिंदगी बिताना चाहता था वह समय बीतने के साथ अजय की मीरा को ढूंढने की कोशिश बढ़ती गई लेकिन लगातार मिलती असफलता ने अजय की बची खुची उम्मीद को भी तोड़ दिया था अपने काम से जब भी फुर्सत मिलती अजय मीरा की

 तलाश में निकल जाता लेकिन नतीजा कुछ ना निकला अजय के घरवाले उसकी शादी के लिए उस पर दबाव बनाने लगे अलग-अलग लड़कियों की फोटो दिखाना उनसे मिलवाने ले जाना घर वालों से जो बन पड़ता वो करते लेकिन अजय न मौके पर शादी के लिए मना कर देता मीरा के गम ने उसे तोड़कर रख दिया था इसी गम को भुलाने के लिए वह कभी-कभी शराब भी पीने लगा था थक हार कर अजय ने मीरा की तलाश करना छोड़ दिया अजय के बचपन के मित्र रमेश ने अजय को अपने घर डिनर के लिए बुलाया आखिरकार अजय प्रशासनिक अधिकारी जो था अजय जाना नहीं चाहता था पर उसके घर वालों ने इस उम्मीद से उसे रमेश के पास भेज दिया कि

 शायद उसका मन हल्का हो जाए रमेश का घर बिहार के सासाराम में था अजय अपनी कार से सासाराम के लिए निकल पड़ा अजय ने कार का रेडियो सिस्टम ऑन कर दिया आसमान में बादल छाए थे रेडियो पर गाना लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है चलने लगा अजय को ऐसा महसूस हुआ मानो यह गाना उसके दिल पर लगे घाव को कुरेद रहा है उसे वह दिन याद आने लगा जब इलाहाबाद में मीरा के घर में र ते हुए जब मौसम का मिजाज ऐसा हो जाता तब बिजली भी गुल हो जाती थी मीरा मिट्टी का तेल लेकर के बारिश में भीगते हुए अजय के कमरे में आती ताकि अजय की पढ़ाई में बांधा ना पड़े अजय जब उस तेल से दिया जलाकर पढ़ने बैठता

 तब मीरा अपनी लाल चुनरी में लगी गांठ खोलती और उसमें बंधे कुछ बादाम अजय को देते हुए कहती यह लो अजय सुबह उठकर खा लेना दिमाग तेज होगा मीरा को संदेह भरी दृष्टि से देखते हुए पूछता बाबू जी को पता है इस पर मीरा बच्चों की तरह जोर-जोर से हंसने लगती अजय मीरा को देखते हुए मानो उसमें खो जाता खुले और भीगे बालों से गिरती हुई बारिश की बुदे मीरा की हंसी को और मासूम बना रही थी हंसते हुए मीरा कहती हम बहुत वो क्या कहते हैं अंग्रेजी में स्मार्ट है बाबू जी से छुपा कर लाए हैं कितना पवित्र कितना निश्छल कितना स्वार्थ रहित था मीरा का प्रेम कार ड्राइव कर रहे

 अजय की आंखों में आंसुओं की बाढ़ आ गई थी अजय पढ़ता तो मीरा उसके सामने बैठकर उसे देखती रहती अजय बड़ी मुश्किल से मीरा को अपने कमरे से बाहर निकाल पाता था कभी धकेल कर कभी उसे उठाकर तो कभी बाबू जी का डर दिखाकर दरअसल जब मीरा सामने होती अजय पढ़ने के बजाय उसके रूप दर्शन में लग जाता था इस पर मीरा खूब हंसती और कहती हमारे मुंह पर कुछ लिखा नहीं है कलेक्टर साहब अजय ने कार का रेडियो ऑफ किया और सीट के नीचे पड़ी बियर की बोतल निकालकर पीने लगा उसका दर्द उसकी आंखों से बाहर आ रहा था जिसे वह बोतल पकड़े हाथ से ही पोंछ लेता था कुछ घंटे के बाद उसकी कार रमेश के घर

 के सामने थी रमेश ने अजय का दिल से स्वागत किया दोनों दोस्त बचपन की बातें करने लगे बाहर बादलों ने गर्जना शुरू कर दी थी तभी रमेश की पत्नी बैठक वाले रूम में आई और अजय को नमस्ते बोलने के बाद रमेश को याद दिलाया कि उसे कुछ सामान लाने के लिए बाजार जाना है अगर बारिश शुरू हो गई तो कोई भी सामान यहां पर नहीं मिलेगा रमेश ने उठते हुए अजय से कहा कि वह कुछ देर में आता है अपनी पत्नी को अजय के लिए चाय बनाने को बोलकर रमेश बाहर चला गया अजय कमरे की खिड़की के पास आ गया ठंडी-ठंडी हवा अजय के दिल को मानो सहलाने लगी थी अपनी आंसुओं से भरी आंखें बंद करते हुए

 अजय मीरा के बारे में सोचने लगा था तभी रमेश की पत्नी अजय के लिए चाय लेकर आ गई अजय जल्दी से आंखें पोछा और सोफे पर बैठकर चाय पीते हुए रमेश की पत्नी से बात करने लगा तभी किचन से बर्तन गिरने की आवाज आई रमेश की पत्नी ने चिल्लाते हुए कहा मीरा संभालकर बर्तन मां जाकर जब काम नहीं आता है तो छोड़ दो करना मीरा का नाम सुनते ही अजय का हाथ कांप गया और थोड़ी सी चाय नीचे गिर गई रमेश की पत्नी को लगा कि शायद अजय को उसका आचरण बुरा लगा वह सफाई सी देते हुए बोली अब देखिए ना भाई साहब यह लड़की एकदम पागल है कोई काम ठीक से नहीं करती है

आपको पता है कहती है कि किसी कलेक्टर की तलाश में घर से भागी है उसका प्रेमी है वह कहकर रमेश की पत्नी जोर-जोर से हंसने लगी अजय को मानो 1000 बोल्ट का करंट लगा हो कप को फेंक कर अजय बिजली की गति से दौड़ता हुआ किचन की ओर भागा किचन के दरवाजे पर पहुंचकर उसने देखा कि मीरा अपनी उसी लाल चुनरी से भीगी आंखों को पोंच हुए बर्तन मांज रही थी अजय ने चिल्लाते हुए पुकारा मीरा मीरा ने सर उठाकर ऊपर देखा तो उसे नया अजय दिखाई दिया महंगी वाइट कलर की शर्ट महंगी जींस चमकते हुए जूते महंगी घड़ी से ल अजय उसके घर में निक्कर और बनियान में रहने वाले अजय से बहुत अलग था लेकिन उसी

 प्यार भरी आंखों से देख रहा था मीरा अजय को देखते ही रोने लगी दौड़कर उसने अजय को जोर से गले लगाना चाहा लेकिन बर्तन की कालिक से सने हुए अपने हाथ और अजय की सफेद शर्ट को देखकर उसकी हिम्मत नहीं हुई अजय उसकी मनो स्थिति को समझ गया और उसे अपनी बांहों में भरकर जोर से गले लगा लिया मीराज का नाम लेकर जोर-जोर से रोए जा रही थी और अजय उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहता जाता कुछ नहीं कुछ नहीं हुआ मीरा सब ठीक है अब रो मत पगली बाजार से आ चुके रमेश और उसकी पत्नी ने दोनों को देखकर आश्चर्य से भर गए अजय ने मीरा का हाथ पकड़ा और रमेश से तुरंत जाने की बात कही रमेश अपने और

 अपनी पत्नी के मीरा के प्रति बर्ताव के लिए बार-बार माफी मांग रहा था अजय ने उसे कहा कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है और मीरा को लेकर के घर के लिए चल पड़ा मीरा ड्राइविंग सीट के बगल वाली सीट पर अजय के कंधे पर सर रखकर बैठी थी और अजय खुशियों से भरा हुआ ड्राइव कर रहा था कार मीरा ने अजय से धीमी आवाज में कहा आपकी कमीज खराब हो गई है हंस दिया अजय मीरा की मासूमियत पर उसने कहा धो दो तो धो दीजिएगा मिसेस अजय मीरा ने कहा मुझे लगा कि भूल गए होंगे आप मुझे अजय फिर हंस पड़ा तभी मीरा की नजर कार में पड़ी बियर की बोतल पर पड़ी उसने पूछा यह क्या

 है कहीं आप तो नहीं अरे नहीं पगली यह जरूर ड्राइवर की करामात है अजय ने कहा और रेडियो सिस्टम ऑन कर दिया रेडियो पर गाना बज रहा था दो दिल मिल रहे हैं मगर छुपके छुपके अजय एक साथ से ड्राइव कर रहा था कार और एक हाथ से अपने कंधे पर सर रखी मीरा का सर सहला रहा था अजय ने मीरा के चेहरे को देखा चेहरे पर कुछ कालिक लगी थी और अब मीरा सो गई थी जो और भी मासूम लग रही थी अजय ने बियर की बोतल उठाई और कार के बाहर फेंक दिया बोतल सड़क पर टूट गई और अजय की जिंदगी का व खालीपन भी टूट गया अपने और मीरा के साथ के भविष्य की कल्पना करते हुए अजय की कार अपनी मंजिल की ओर दूर निकल गई

 तो दोस्तों यह कहानी आपको कैसी लगी आप अपनी राय मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर दीजिएगा दोस्तों वीडियो पसंद आया हो तो वीडियो को लाइक शेयर और चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले कल मिलते हैं एक नई कहानी के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत


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